Salary Hike: राजस्थान विधानसभा में सोमवार को एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई जिसमें सरकारी स्कूलों में काम करने वाले कुक कम हेल्पर्स के वेतन में वृद्धि की मांग शामिल थी। विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने इस मुद्दे को प्रश्नकाल के दौरान उठाया और इन कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति के सुधार के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग की। इस प्रश्न के जवाब में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने घोषणा की कि 1 अप्रैल से इन कर्मचारियों के मानदेय में 15% की बढ़ोतरी की जाएगी।
वर्तमान परिस्थिति और उठाया गया मुद्दा
विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने अपने प्रश्न में बताया कि वर्तमान समय में सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील बनाने वाले कुक कम हेल्पर्स को मात्र 3000 रुपये प्रति माह का मानदेय दिया जाता है। उन्होंने इस मानदेय को अत्यंत कम बताते हुए कहा कि इतनी कम राशि में किसी का भी गुजारा करना लगभग असंभव है। उन्होंने मांग की कि इन कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 की धारा 27 के अनुसार अनुसूचित नियोजन में शामिल किया जाए, जिससे उन्हें कानूनी रूप से उचित वेतन का अधिकार मिल सके।
विधायक भाटी ने यह भी बताया कि वर्तमान मानदेय की कम राशि के कारण अनेक स्कूलों में हेल्पर्स की कमी हो रही है। कई क्षेत्रों में लोग इतनी कम राशि पर काम करने को तैयार नहीं होते, जिससे मिड-डे मील कार्यक्रम के संचालन में कठिनाइयां आ रही हैं। उन्होंने सरकार से इस समस्या पर तत्काल ध्यान देने की मांग की ताकि स्कूली बच्चों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता और नियमितता को सुनिश्चित किया जा सके।
शिक्षा मंत्री का जवाब और आश्वासन
प्रश्न का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि वे इस समस्या से अवगत हैं और सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने घोषणा की कि 1 अप्रैल से इन कर्मचारियों के मानदेय में 15% की वृद्धि की जाएगी। इस प्रकार, वर्तमान 3000 रुपये के मानदेय में 450 रुपये की बढ़ोतरी होगी और नया मानदेय 3450 रुपये प्रति माह हो जाएगा।
मंत्री ने आगे बताया कि यह वृद्धि अंतिम नहीं है, बल्कि एक शुरुआती कदम है। उन्होंने कहा कि वे न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत इन कर्मचारियों को शामिल करने के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं। इसके लिए वित्त विभाग और कानूनी विशेषज्ञों के साथ परामर्श चल रहा है ताकि उचित नीतिगत ढांचा तैयार किया जा सके।
वेतन वृद्धि के संभावित प्रभाव
15% की वेतन वृद्धि से कुक कम हेल्पर्स की आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार होने की उम्मीद है। हालांकि, यह वृद्धि अभी भी उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं मानी जा रही है। फिर भी, यह सरकार की ओर से एक सकारात्मक कदम है जो दर्शाता है कि सरकार इस मुद्दे पर संवेदनशील है और समाधान की दिशा में काम कर रही है।
इस वेतन वृद्धि से स्कूलों में कुक कम हेल्पर्स की रिक्तियों को भरने में भी मदद मिल सकती है। अधिक मानदेय के कारण अधिक लोग इस पद पर काम करने के लिए आकर्षित हो सकते हैं, जिससे मिड-डे मील कार्यक्रम का बेहतर क्रियान्वयन संभव होगा। इससे न केवल स्कूली बच्चों को नियमित और पौष्टिक भोजन मिलेगा, बल्कि रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी।
चुनौतियां और आगे की राह
हालांकि वेतन वृद्धि एक सकारात्मक कदम है, फिर भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। प्रमुख चुनौती यह है कि अभी भी यह मानदेय न्यूनतम मजदूरी से कम है, जो कि एक कानूनी अधिकार है। दूसरी चुनौती यह है कि महंगाई दर में निरंतर वृद्धि के कारण इस वेतन वृद्धि का वास्तविक प्रभाव कम हो सकता है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, सरकार को एक व्यापक नीति की आवश्यकता है जो न केवल वर्तमान वेतन में वृद्धि करे, बल्कि भविष्य में भी नियमित वेतन संशोधन का प्रावधान करे। इसके अलावा, इन कर्मचारियों को अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसे स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और शिक्षा सहायता भी प्रदान की जानी चाहिए।
सामाजिक न्याय और शिक्षा की गुणवत्ता
कुक कम हेल्पर्स के वेतन में वृद्धि का मुद्दा केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का भी मुद्दा है। ये कर्मचारी, जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं, स्कूली शिक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे न केवल बच्चों के लिए भोजन तैयार करते हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे भूखे पेट पढ़ाई न करें, जो शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक है।
उचित वेतन प्रदान करके, सरकार न केवल इन कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार करेगी, बल्कि मिड-डे मील कार्यक्रम की प्रभावशीलता में भी वृद्धि करेगी। यह स्कूल छोड़ने की दर को कम करने और बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने में भी सहायक होगा, जो सरकार के शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
राजस्थान सरकार द्वारा कुक कम हेल्पर्स के मानदेय में 15% की वृद्धि का निर्णय एक सकारात्मक कदम है। यह प्रदर्शित करता है कि सरकार इन कर्मचारियों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है और उनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, यह केवल शुरुआत है और आगे और अधिक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
उम्मीद की जाती है कि सरकार शिक्षा मंत्री के आश्वासन के अनुसार इन कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत लाने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। इससे न केवल इन कर्मचारियों के जीवन में सुधार होगा, बल्कि समग्र शिक्षा प्रणाली में भी सकारात्मक बदलाव आएगा। अंततः, यह हमारे देश के भविष्य, हमारे बच्चों के विकास और कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश होगा।